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श्रीस्वस्थानी ब्रत कथा अध्याय २१ 

श्रीस्वस्थानी ब्रत कथाको एक्काईसौं अध्यायमा कुमारजी आज्ञा गर्नुहुन्छ- हे  अगत्स्य मुनि ! गोमा भिक्षुक रूप महादेवको शराप पाई अति चिन्तित थिईन्।तहां उप्रान्त गंगा – स्नान गर्न गएका शिवभट्ट, सती ब्राम्हणीले स्नान गरी हरि- हरको पूजा गरी सुवर्णादि नाना द्रब्य दान गरी घर फिर्दा गोमालाई रोईरहेकी देखी -हे पुत्री ! किन रोईस् ! के दु:ख भो ? भनी सोधे । त्यसपछी गोमाले के भनिन् ? थप प्रसंगको लागि लागि पं. रामबाबु लुईटेल द्धारा प्रस्तुत श्रीस्वस्थानी ब्रत कथा सुनेर लाभ प्राप्त गरौं ।

श्रीस्वस्थानी ब्रत कथाका अध्यायहरु

श्रीस्वस्थानी ब्रत कथा अध्याय २० – Hollywoodkhabar

श्रीस्वस्थानी ब्रत कथा अध्याय १९ – Hollywoodkhabar

श्रीस्वस्थानी ब्रत कथा अध्याय १८ – Hollywoodkhabar

श्रीस्वस्थानी ब्रत कथा अध्याय १७ – Hollywoodkhabar

श्रीस्वस्थानी ब्रत कथा अध्याय १६ – Hollywoodkhabar

श्रीस्वस्थानी ब्रत कथा अध्याय १५ – Hollywoodkhabar

श्रीस्वस्थानी ब्रत कथा अध्याय १४ – Hollywoodkhabar

श्रीस्वस्थानी ब्रत कथा अध्याय १३ – Hollywoodkhabar

श्रीस्वस्थानी ब्रत कथा अध्याय १२ – Hollywoodkhabar

श्रीस्वस्थानी ब्रत कथा अध्याय ११– Hollywoodkhabar

श्रीस्वस्थानी ब्रत कथा अध्याय १० – Hollywoodkhabar

श्रीस्वस्थानी ब्रत कथा अध्याय ९ – Hollywoodkhabar

श्रीस्वस्थानी ब्रत कथा अध्याय ८ – Hollywoodkhabar

श्रीस्वस्थानी ब्रत कथा अध्याय ७ – Hollywoodkhabar

श्रीस्वस्थानी ब्रत कथा अध्याय ६ – Hollywoodkhabar

श्रीस्वस्थानी ब्रत कथा अध्याय ५ – Hollywoodkhabar

श्रीस्वस्थानी ब्रत कथा अध्याय ४ – Hollywoodkhabar

श्रीस्वस्थानी ब्रत कथा अध्याय ३ – Hollywoodkhabar

श्रीस्वस्थानी ब्रत कथा अध्याय २ – Hollywoodkhabar

श्रीस्वस्थानी ब्रत कथा अध्याय १ – Hollywoodkhabar

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